एहसास
रंग बिरंगी , कडवी मीठी अनुभूतियों की काव्यमय प्रस्तुति
रविवार, 18 जुलाई 2010
यूँ बनती है कविता ....
इक
तन्हाई
को
जीना
पड़ता
है
तब
बनती
है
कविता
इक
दर्द
को
पीना
पड़ता
है
तब
बनती
है
कविता
शब्द
लहराने
लगते
हैं
जब
भावों
के
तूफानों
में
उनको
पकड़ना
पड़ता
है
तब
बनती
है
कविता
1 टिप्पणी:
संगीता स्वरुप ( गीत )
ने कहा…
सटीक बात
19 जुलाई 2010 को 3:02 am बजे
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सटीक बात
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