रंग बिरंगी , कडवी मीठी अनुभूतियों की काव्यमय प्रस्तुति
बुधवार, 2 जून 2010
दूरियां
मैं, कुछ कुछ तुम में हूँ और तुम कुछ कुछ मुझमें हो , लेकिन न जाने क्या बात है कि , मैं तुम में छुपे अपने आप को नहीं देख पाता, शायद ऐसा ही कुछ होता होगा तुम्हारे साथ भी तभी तो तुम्हारे और मेरे बीच हैं दूरियां कायम अभी तक
4 टिप्पणियां:
bahut khoob...........bahut gahre utar gaye.
क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
सुन्दर अभिव्यक्ति ...
bahut khoob.
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