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शनिवार, 12 जून 2010

टूट गए जो सपने उन ........

टूट गए जो सपने उन सपनों की बातें ना करो
दिन ये अँधेरे ना करो ,क़त्ल ये रातें ना करो

आज नहीं तो कल होंगी खुशियों से रोशन आँखें
धुंध उदासी की गहरी, बोझिल ये आँखें ना करो

रंज सभी धुल जाते हैं प्रेम के पावन पावस से
प्रेम की धारा में डूबो नफरत की बातें ना करो

हासिल कुछ होगा नहीं ज़ख्म दिखा के जान लो
हंसी पे कोई गीत लिखो अश्कों की बातें ना करो

जीवन का श्रृंगार करो रंग भरो इस कागज़ पर
फूल भी हैं इस बगिया में काँटों की बातें ना करो

4 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

संजय भास्‍कर ने कहा…

तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत ग़ज़ल

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना !!