टूट गए जो सपने उन सपनों की बातें ना करो
दिन ये अँधेरे ना करो ,क़त्ल ये रातें ना करो
आज नहीं तो कल होंगी खुशियों से रोशन आँखें
धुंध उदासी की गहरी, बोझिल ये आँखें ना करो
रंज सभी धुल जाते हैं प्रेम के पावन पावस से
प्रेम की धारा में डूबो नफरत की बातें ना करो
हासिल कुछ होगा नहीं ज़ख्म दिखा के जान लो
हंसी पे कोई गीत लिखो अश्कों की बातें ना करो
जीवन का श्रृंगार करो रंग भरो इस कागज़ पर
फूल भी हैं इस बगिया में काँटों की बातें ना करो
शनिवार, 12 जून 2010
सोमवार, 7 जून 2010
मेरी ग़ज़ल का हर लफ्ज़ जो तेरा .....
मेरी ग़ज़ल का हर लफ्ज़ जो तेरा अक्श हो जाए
सारे जहां को मेरी कलम से रश्क हो जाए
ये नज़र फेर दो एक पल को मेरी जानिब अगर
तो कुछ दिन और जीने का बंदोबश्त हो जाए
साथ वक़्त का है जब तलक ये लम्हें जी लें
ये वक़्त जाने कब तेरे मेरे बरक्श हो जाए
वो पल आखिरी पल हो मेरे जीवन का "शाकिर"
जब मेरे भीतर के जुनून की शिकश्त हो जाए
सारे जहां को मेरी कलम से रश्क हो जाए
ये नज़र फेर दो एक पल को मेरी जानिब अगर
तो कुछ दिन और जीने का बंदोबश्त हो जाए
साथ वक़्त का है जब तलक ये लम्हें जी लें
ये वक़्त जाने कब तेरे मेरे बरक्श हो जाए
वो पल आखिरी पल हो मेरे जीवन का "शाकिर"
जब मेरे भीतर के जुनून की शिकश्त हो जाए
रविवार, 6 जून 2010
समझौता
इन
अंधेरों के
आलम में
मैं
दिल में
छुपे
रोशनी के
अरमानों
को
जला
पैदा
कर रहा हूँ
अपने लायक
उजाला
और
बढ़ रहा हूँ
धीरे धीरे
जीवन के
पथ पर
अंधेरों के
आलम में
मैं
दिल में
छुपे
रोशनी के
अरमानों
को
जला
पैदा
कर रहा हूँ
अपने लायक
उजाला
और
बढ़ रहा हूँ
धीरे धीरे
जीवन के
पथ पर
बुधवार, 2 जून 2010
दूरियां
मैं,
कुछ कुछ
तुम में हूँ
और
तुम
कुछ कुछ
मुझमें
हो ,
लेकिन
न जाने क्या
बात है कि ,
मैं तुम में
छुपे अपने आप को
नहीं देख पाता,
शायद ऐसा ही कुछ
होता होगा
तुम्हारे साथ भी
तभी तो
तुम्हारे और मेरे बीच
हैं दूरियां कायम
अभी तक
कुछ कुछ
तुम में हूँ
और
तुम
कुछ कुछ
मुझमें
हो ,
लेकिन
न जाने क्या
बात है कि ,
मैं तुम में
छुपे अपने आप को
नहीं देख पाता,
शायद ऐसा ही कुछ
होता होगा
तुम्हारे साथ भी
तभी तो
तुम्हारे और मेरे बीच
हैं दूरियां कायम
अभी तक
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