बर्क जब भी मेरे आशियाँ पे गिरी है
मुझे रोशनी से उसकी नई राह मिली है
यहाँ से हम तुम नहीं जा सकते एक साथ
मज़हब की ये बड़ी ही तंग गली है
इस ओर खड़े इस भिखारी की आह
उस ओर खड़े उस मंदिर से बड़ी है
नई हवा में ना घोलो ये बंटने की रवायत
हर इंसान इंसानियत की एक कड़ी है
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यहाँ से हम तुम नहीं जा सकते एक साथ
मज़हब की ये बड़ी ही तंग गली है
नई हवा में ना घोलो ये बंटने की रवायत
हर इंसान इंसानियत की एक कड़ी है
ये दोनों शेर खास पसंद आए!
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