अपना कोई रूप ना रहा
इतने सांचों में मैं ढला
गुम था इक भीड़ में मगर
वो मुझे तनहा सा लगा
खुद को महसूस कर लूं मैं
आ मेरे बाजुओं में आ
आरजू ना साहिलों की कर
साथ लहरों का तू निभा
हौसला था पंखों का फ़क़त
पंछी जब शाख से उड़ा
2 टिप्पणियां:
आरजू ना साहिलों की कर
साथ लहरों का तू निभा
खुबसूरत शेर दिल की गहराई से लिखा गया मुवारक हो
सुन्दर अभिव्यक्ति
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