मैं
एक आम आदमी
रोज सवेरे
सपनों भरी नींद
का मोह त्यागकर
उठता हूँ ,
आईने में,
कल तक
चेहरे पर उभर आई
खरोंचों को
देखकर अनदेखा
करता हुआ
एक नए संघर्ष के लिए
खुद को तैयार
करता हूँ
और
ना जाने कितने ही
कदमों द्वारा
रौंदी गई
सडकों पर
भीड़ का हिस्सा बन
निकल पड़ता हूँ ,
मैं
एक
आम आदमी
6 टिप्पणियां:
आपका यह संघर्ष ही आपको सफलता की मंज़िल तक पहुंचाएगा।
सत्य को बताती सुन्दर अभिव्यक्ति
आपकी ये रचना चर्चा मंच पर ली गयी है ...
http://charchamanch.blogspot.com/2010/05/163.html
ek aam aadmi ki yahi to niyti hai ..
आम आदमी का संघर्षमय जीवन का सत्य दर्शाती सुन्दर रचना !
badhiya peshkash ...aam aadmi is sangarsh ko khaas ban ke bhi na bhule yahi kamna hai ...
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