मेरी ग़ज़ल का हर लफ्ज़ जो तेरा अक्श हो जाए
सारे जहां को मेरी कलम से रश्क हो जाए
ये नज़र फेर दो एक पल को मेरी जानिब अगर
तो कुछ दिन और जीने का बंदोबश्त हो जाए
साथ वक़्त का है जब तलक ये लम्हें जी लें
ये वक़्त जाने कब तेरे मेरे बरक्श हो जाए
वो पल आखिरी पल हो मेरे जीवन का "शाकिर"
जब मेरे भीतर के जुनून की शिकश्त हो जाए
6 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया
शानदार
वो पल आखिरी पल हो मेरे जीवन का "शाकिर"
जब मेरे भीतर के जुनून की शिकश्त हो जाए
Bahut sundar > shakir upnaam hai kyaa ?
वो पल आखिरी पल हो मेरे जीवन का "शाकिर"
जब मेरे भीतर के जुनून की शिकश्त हो जाए ..
सच है जब जनून .. जूसतजू ख़त्म तो जीवन ख़त्म ...
dil ka sara hal kah diya
बेहतरीन।
बहुत सुंदर और प्रभावशाली
सुंदर रचना के लिए बधाई
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