मैं ना जानूं जात पात की परिभाषा
मैं ना मानूं धर्म के ये आडम्बर
दिल मेरा मेरी इबादतगाह है
मंदिर और मस्जिद मेरे लिए पत्थर
जीवन एक दरिया है इसको बहने दो
बांधो ना इसको किसी भी बंधन में
तभी उगेगा सूर्य छंटेगा अंधियारा
ज्योति प्रेम की जब जलेगी हर मन में
खून के प्यासे हैं जो उनको रोको अब
कुछ नहीं हुआ न होगा कत्लोगारत से
ज्ञान और विज्ञान से चमकेगा भारत
कुछ नहीं मिला न मिलेगा धर्म सियासत से