क्या
इन्तजार है तुम्हें
उस दिन का
जब ..
लहू उबलकर
आ जायेगा
शिराओं से बाहर
जब ...
समुद्र में
आंसुओं के
आने लगेंगे
सुनामी
जब ...
भूख की आग
मचा देगी
हाहाकार
जब ...
नंगे बदन
चमकने लगेंगे
तलवारों की तरह
जब ...
नारों में
उठने लगेंगे तूफान
और डोलेगी धरती
इतनी
की एक हो जायेगा
सबका धरातल
जब ...
तुम्हारा बदलना
उतना ही
जरुरी होगा
जितना कि
सांस लेना
जब ...
सांस लेने के लिए
बदलना
होगा तुम्हें
अपनी पूरी
दुनिया के साथ ...
सच कहूँ
तो मुझे भी
इंतजार है
उसी
नए दिन का ...
इन्तजार है तुम्हें
उस दिन का
जब ..
लहू उबलकर
आ जायेगा
शिराओं से बाहर
जब ...
समुद्र में
आंसुओं के
आने लगेंगे
सुनामी
जब ...
भूख की आग
मचा देगी
हाहाकार
जब ...
नंगे बदन
चमकने लगेंगे
तलवारों की तरह
जब ...
नारों में
उठने लगेंगे तूफान
और डोलेगी धरती
इतनी
की एक हो जायेगा
सबका धरातल
जब ...
तुम्हारा बदलना
उतना ही
जरुरी होगा
जितना कि
सांस लेना
जब ...
सांस लेने के लिए
बदलना
होगा तुम्हें
अपनी पूरी
दुनिया के साथ ...
सच कहूँ
तो मुझे भी
इंतजार है
उसी
नए दिन का ...